बच्चे 18 दिनो तक एक गुफा में फन्से रहे । Thailand Cave Rescue Operation

बच्चे 18 दिनो तक एक गुफा में फन्से रहे । Thailand Cave Rescue Operation



23 जून दो हजार अट्ठारह थाईलैंड की फुटबॉल टीम वाइल्ड फोर्स के 12 खिलाड़ी और एक कोच प्रैक्टिस मैच के बाद अपने एक साथ ही का जन्मदिन मनाने की सोचते हैं और इसके लिए जगह चुनी गई थाईलैंड की माई सही से लेकर गांव छियांग राय में बनी गुफा धाम लुआंग गांव के खेतों में लहरा की फसलों के बीच से होते हुए सभी बच्चे धाम लुआंग गुफा के सामने पहुंच चुके थे 

लेकिन कुछ एडवांस करने का जुनून और प्रकृति का प्रेम इन बच्चों को गुफा के कई किलोमीटर तक खींच लाया कुछ पता ही नहीं चला अब गुफा के लगभग 6 किलोमीटर अंदर तक आ गई जैसे जैसे बच्चे आगे बढ़ते जा रहे थे वैसे वैसे अंधेरा भी बढ़ता जा रहा था इधर अब बाहर मौसम भी करवटें बदलने लगा था देखते ही देखते बाहर भारी बरसात शुरू हो गई इसकी जरा सी भी मन्नत गुफा के अंदर मौजूद इन बच्चों को नहीं थी घनघोर अंधेरा और काफी समय बीत जाने के चलते अब सभी ने वापस गुफा से बाहर निकलने की सोची लेकिन जैसे ही कुछ दूर वापस चले तो उन्होंने कुछ ऐसा दिल दहलाने वाला देखा तो उनके होश उड़ा दिए दरअसल गुफा के रास्ते से पानी का एक तेज बहाव अंदर की तरफ आ रहा था 

जो कि लगातार बाहर हो रही वर्षा के कारण अब विकराल रूप धारण करने वाला था पानी के इस विकराल रूप को देखते ही सभी बच्चे डर के मारे रोने लगे ऐसे में उनके कोच ने हिम्मत दिखाई और सभी बच्चों को समझा-बुझाकर शांत किया कि वह जल्द ही यहां से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ लेंगे  पर अब समस्या यह थी कि गुफा के अंदर तेजी से बढ़ रहे बारिश के पानी से खुद को कैसे बचाया जाए इसके लिए उन्हें जरूरत थी किसी को सुरक्षित स्थान की जहां बारिश का पानी ना पहुंच सके तभी अचानक पर बैठ कर सकते थे

 पानी कम होने का इंतजार करने लगे कि वह जल्दी यहां से बाहर निकल सके लेकिन हमारी का स्तर घटने की वजह लगातार बढ़ता ही जा रहा था देखते ही देखते इंतजार के घंटे दिनों में बदलने लगे उधर बच्चों के घर पहुंचने पर घबराए माता-पिता ने भी अपने बच्चों को ढूंढना शुरू कर दिया लेकिन काफी खोजने के बाद भी किसी का कुछ पता नहीं चल सका लेकिन तभी इन बच्चों की एक साथ ही नहीं उन सभी के धाम गुफा में जाने के प्लान के बारे में बताया उस दिन उनके साथ नहीं था और घबराए हुए माता-पिता तुरंत उस गुफा के सामने पहुंचे गुफा के बाहर खड़ी साइकिल्स को देखकर समझ गए कि हो ना हो बच्चे इसी गुफा के अंदर फंस चुके हैं

 लेकिन पानी के तेज बहाव को देखते हुए सभी को डर था कि कहीं बच्चों के साथ कोई अनहोनी ना हो चुकी हो बिना समय गवाएं प्रशासन को इस बात की खबर दी गई उधर काफी समय बीत जाने के बाद अब बच्चे भी भूख के मारे लगने लगे थे और ना ही उन्हें वहां से बाहर निकालने का कोई रास्ता नजर आ रहा था ऐसे में एक बार फिर से हिम्मत बताते हुए कहा कि खाने की बिना तो इंसान कई दिनों तक रह सकता है 

लेकिन पानी के बिना नहीं और कहीं ना कहीं भी है क्योंकि उनके पास पर्याप्त मात्रा में मौजूद है वह लगातार इन बच्चों का हौसला बढ़ाते रहें और इन बच्चों को मेडिट्रेड कराते रहें ताकि ऑक्सीजन की कमी और खाने के अभाव में भी इन बच्चों का इम्यून सिस्टम बेहतर बना रहे देखते ही देखते घंटे दिनों में और दिन हफ्ते में बीत गया लेकिन वहां से बाहर निकलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी इधर अब पूरी दुनिया में यह खबर फैल चुकी थी ऐसे में बच्चों की मदद के लिए अमेरिका ब्रिटेन जैसे देशों के एक्सपर्ट की टीम थाईलैंड पहुंचने लगी उधर प्रशासन भी अब तक लाखों लीटर पानी मशीनों के जरिए गुफा से बाहर निकाल चुका था

 ताकि अंदर जाने का कोई रास्ता बनाया जा सके लेकिन अफसोस इसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि पानी का बहाव काफी तेज था और जमीन भी काफी दलदली हो चुकी थी जिसके कारण बस आगे बढ़ी नहीं पा रहे थे लेकिन फिर भी लगातार आगे जाने के प्रयासों में लगे रहे वहीं दूसरी और पानी के बहाव को कम करने के लिए वैज्ञानिकों की मदद ली गई जिसमें सबसे पहले निरीक्षण किया गया कि पानी की गुफा में जाने के रास्ते कौन-कौन से हैं पानी के गुफा में जाने वाले सभी रास्तों की खोज की गई और तुरंत उन सभी जगहों पर छोटे-छोटे बांध बनाने का निर्णय लिया गया क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो गुफा में पानी का स्तर लगातार बढ़ता रहता जो कि बच्चों के साथ-साथ ढूंढने वाले की जान के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता था 

शॉप प्लान पर अमल किया गया और बांधों के निर्माण के बाद अब गुफा में पानी का स्तर कुछ कम होने लगा था इधर डायवर्स भी तमाम दिक्कत और परेशानियों के बावजूद पानी को चीरते हुए लगातार आगे बढ़ रहे थे तभी एक ब्रिटिश ड्राइवर को वहां अचानक ही किसी इंसान का आभास हुआ आफ डायवर्स में भी एक उम्मीद की किरण जगी कि खोला हो बस यहीं कहीं आस-पास है जिसके बाद मात्र कुछ ही देर की खोजबीन के बाद सभी तेरा लोगों को डायवर्स की टीम ने लगभग 9 दिन बाद एक ऊंची चट्टान एडिटेड करते हुए गुफा के लगभग 4 किलोमीटर अंदर  खोज लिया डाइवोर्स को अपने पास मदद के रूप में पाकर बच्चों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था 

आप सबसे पहले बच्चों को खाने पीने का सामान दिया गया क्योंकि लगभग 9 दिनों से भूखे बच्चे काफी कमजोर हो चुके थे क्योंकि अब तेरा लोगों के साथ कई डाइवोर्स भी गुफा के अंदर मौजूद थे तो ऐसे में वहां ऑक्सीजन का लेवल और भी तेजी से घटने लगा इसकी पूर्ति के लिए तुरंत ही गुफा के बाहर से एक पाइप के द्वारा 200 ऑक्सीजन सिलेंडर से ऑक्सीजन अंदर पहुंचाई गई ताकि सभी को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पाए और बच्चों के पास इमरजेंसी के लिए डॉक्टर्स की टीम भी भेज दी गई लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि बच्चों को बाहर कैसे निकाला जाए तो बाहर कैसे निकाला इसके लिए तीन ऑप्शन पर विचार किया गया पहला या तो स्विमिंग सिखाई जाए जो कि पॉसिबल नहीं था क्योंकि बच्चों में उतनी  एनर्जी ही नहीं थी

 कि वह 4 किलोमीटर तक स्विमिंग कर पाए इसलिए यह प्लान खारिज कर दिया गया दूसरा विकल्प यह था कि बच्चों को डायवर्स की मदद से खींचकर बाहर निकाला जाए लेकिन किसी अकेले ड्राइवर द्वारा 4 किलोमीटर तक को बच्चों को बाहर निकाल ले जाना काफी मुश्किल भरा होने वाला था और तीसरा यह कि बच्चों को सभी मूलभूत जरूरतों की वस्तुओं के साथ वही छोड़ दिया जाए और मानसून के अंत होने पर वहां से बाहर निकाला जाए क्योंकि गुफा में पानी का स्तर भी बेहद कम हो चुका होगा लेकिन यह विकास नहीं हुआ क्योंकि इतने लंबे समय तक बच्चों को गुफा में छोड़ना खतरे से खाली नहीं था ऐसे में बच्चों को बाहर निकालने के लिए किसी अन्य तरीके को खोजना शुरू किया गया 

वहीं दूसरी ओर इसराइल मैक्स्टेक कुर्सी में भी द्वारा फाइबर ऑप्टिकल केबल को गुफा में इंस्टॉल किया गया ताकि इंटरनेट कनेक्शन के जरिए बच्चे अपनी फैमिली से कम्युनिकेट कर सके यह सब करने के बाद अंत में निर्णय लिया गया कि मंजू को बेहोश करके बाहर लाया जाएगा क्योंकि बच्चे देने में समर्थ नहीं थे ऐसे में एक बच्चे को बाहर लाने की जिम्मेदारी तो डाइवोर्स को दी गई इस प्लान के अनुसार यह तय किया गया कि बच्चों को एक फ्लोटिंग के बेटा जाएगा और का आगे वाला हिस्सा पहले गोताखोर के पास रहेगा वही पीछे वाला हिस्सा दूसरे गोताखोर के पास अनुमति मिलने के बाद पहले चरण में 4 बच्चों को ऑक्सीजन मास्क पहनाकर फ्लोटिंग किट में लपेटा गया डायवर्स के हाथों में अब बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी क्योंकि फ्लोटिंग कितने लपेटा गया बच्चा और 4 किलोमीटर स्विमिंग अब हमें जरा सी चूक भी एक बड़े हादसे को जन्म दे सकती थी 

लेकिन गोताखोरों ने बड़ी सूझबूझ के साथ 8 जुलाई 2018 को शाम 7:55 बच्चों को बाहर निकाल दिया अगले दिन भी इसी प्रकार से 4 बच्चों को बाहर निकाला गया 10 जुलाई 2018 यह वह दिन था जो 6:38 पर बचे हुए सभी बच्चों और उनके कोच को सकुशल बाहर निकाल कर इतिहास रच दिया गया लगभग 18 दिन तक गुफा में फंसे रहने के बाद बच्चों को जिंदा बाहर निकालना किसी चमत्कार से कम नहीं था 

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में एक बहादुर एक्स में भी डायवर्सन कोलन बच्चों को बताते बताते हैं अपनी जिंदगी की जंग हार गई गुफा से बाहर निकाल तुरंत ही हॉस्पिटल पहुंचाया गया जहां उन्हें कई दिनों तक मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा गया था कि अगर मैं किसी भी प्रकार का रोग है इतने दिनों तक भूखे रहने के बाद बॉडी में किसी भी प्रकार की कमी आई हो तो उसका इलाज किया जा सके लगभग 10 दिनों तक हॉस्पिटल में रहने के बाद इन सभी को डिस्चार्ज कर दिया गया ऑपरेशन में अपनी जान गवाने वाले समर्थन करने के लिए बाहर लगाया गया जिन्होंने अपनी जिंदगी देकर लोगों को नई जिंदगी को बदलने पर मजबूर कर दिया दोस्तों यह है आर्टिकल बड़ा है पर इंस्पायरिंग स्टोरी है


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